नोवेल कोरोना वायरस : योग के फायदे हैं

नोवेल कोरोना वायरस : योग के फायदे हैं

वैश्विक स्तर पर महामारी का रूप ले चुके नोवेल कोरोना वायरस से बचाव का मौजूदा समय में यदि कोई सर्वोत्तम उपाय है तो वह है प्राणायाम। इस प्राणायाम की चार विधियों में वह शक्ति है कि योग्य योगाचार्य के निर्देशन में अभ्यास किया जाए तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ेगी और कोरोना वायरस से प्रभावित होने से बचा जा सकेगा। यदि प्रणायाम के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवाएं और उचित आहार लिया जाए तो चमत्कारिक नतीजे मिल सकते हैं।

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परंपरागत योग के संन्यासियों से लेकर आधुनिक योग विज्ञानियों तक अपने अनुभवों और अध्ययनों के आधार पर ऐसा निष्कर्ष निकालते रहे हैं। अब वही निष्कर्ष दुनिया भर के अनेक योग विज्ञानियों को नोवेल कोरोना वायरस जैसी लाइलाज बीमारी से बचाव के लिए अंधेरे में टिमटिमाती लौ की तरह दिख रहा है। कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है। पर बेहद प्रभावी वायरस साबित हो रहा है। यदि प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रही तो इससे संक्रमित लोगों का श्वासन पथ तेजी से प्रभावित होता है। फेफड़ा जकड़ जाता है। साथ ही हार्ट, लीवर और किडनी प्रभावित हो जाता है। यानी मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शन। 

कोरोना वायरस से बचाव में प्राणायाम इसलिए लाभकारी है कि वह रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखता है, जिससे सर्दी, जुकाम और फेफड़े पर वायरस का असर नहीं होने देता है। शरीर में यदि वायरस के लक्षण प्रकट हुए भी तो उनके बेअसर होते देर नही लगती। इस संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक अध्ययन रिपोर्ट गौर करने लायक हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के एक अध्ययन में बताया गया कि प्राणायाम के जरिए इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय में कार्डियो फैकल्टी में शोध निर्देशक डॉ. हर्बर्ट वेनसन के मुताबिक नियमपूर्वक बीस मिनट प्रतिदिन ध्यान किया जाए, तो शरीर में ऐसे बदलाव आने लगते हैं कि वह रोग और तनाव के आक्रमणों का मुकाबला करने लगता है। इसके लिए अलग से चिकित्सकीय सावधानी नहीं बरतनी पड़ती।

इसी से मिलता-जुलता एक प्रयोग लंदन के माडस्लो अस्पताल तथा इंस्टीट्यूट ऑफ साइकिएट्री के डॉ. पीटर फेन्विक ने भी किया है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘मेडिटेशन एंड साइंस’ में लिखा है कि ऐसे कुछ व्यक्तियों के मस्तिष्क की विद्युत क्रिया की जांच की गई, जो कम से कम एक वर्ष से ध्यान का नियमित अभ्यास कर रहे थे। मस्तिष्क तरंगों की रिकॉर्डिंग में ध्यान के समय स्पष्ट परिवर्तन नोट किए गए। इन तरंगों से जो ताजगी मिलती है, उससे शरीर और मन बाहरी प्रतिकूलताओं को सहने लायक पर्याप्त सामर्थ्य जुटा लेता है।

जापान की ओसाका प्रेफेक्चर यूनिवर्सिटी के नैदानिक पुनर्वास विभाग ने मध्य आयुवर्ग के लोगों की श्वास-प्रश्वास संबंधी बीमारी पर प्राणायाम के प्रभावों पर अध्ययन किया है। पचास से पचपन साल उम्र वाले 28 ऐसे लोगों पर प्राणायाम का प्रभाव देखा गया जो शारीरिक रूप से निष्क्रिय जीवन व्यतीत कर रहे थे। इन्हें दो ग्रुपों में बांटकर एक ग्रुप को आठ सप्ताह तक प्राणायाम की विभिन्न विधियों खासतौर से अनुलोम विलोम, कपालभाति और भस्त्रिका का अभ्यास कराया गया। नतीजा हुआ कि योग ग्रुप के लोगों की श्वसन क्रिया दूसरे ग्रुप के लोगों की तुलना में काफी सुधर गई। साथ ही अन्य शारीरिक व्याधियों से भी मुक्ति मिल गई। शरीर के लचीलेपन में सुधार हुआ।

कर्नाटक के हासन स्थित श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं अस्पताल में पर्यावरण प्रदूषण की वजह से होने वाली श्वसन संबंधी बीमारियों पर प्राणायाम के प्रभावों पर अध्ययन किया गया। इस दौराना देखा गया कि प्राणायाम से शरीर पर कई तरह के लाभकारी प्रभाव होते हैं। श्वसन प्रणाली ठीक से काम करने लगती है। भारत में इस तरह से और भी कई अध्ययन किए जा चुके हैं। तमिलनाडु के विनायका मिशन मेडिकल कालेज में फुफ्सुसीय (पल्मोनरी) कार्यप्रणाली पर अल्पकालिक प्राणायाम के प्रभावों का अध्ययन किया गया तो इसके आशानुकूल नतीजे सामने आए।

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इन सभी अध्ययनों का आधार इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि कुल आबादी के पांच फीसदी पुरूष और 3.2 फीसदी महिलाएं पुरानी श्वसन बीमारी से पीड़ित हैं। 14.84 मिलियन लोग गंभीर रूप से फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हैं। दूसरी तरफ लाइलाज कोविड 19 समूह के जीवाणुओं के प्रभावों पर अध्ययन से पता चल चुका है कि कोरोना वायरस फेफड़े के बाद सबसे पहले हृदय को अपनी चपेट में लेता है। इसलिए नेचर रिव्यूज कार्डियोलॉजी ने हाल ही जारी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का इलाज करते समय हृदय पर विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए।

प्राणायाम के प्रभावों पर वैज्ञानिक शोध तो अभी-अभी सामने आए हैं। पर भारत में परंपरागत योग के संन्यासी तो पचास-साठ साल पहले ही अपने अध्ययनों से ऐसे परिणाम हासिल कर चुके थे। तभी कैवल्यधाम, लोनावाला के संस्थापक स्वामी कुवल्यानंद, बिहार योग विद्यालय के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती, योगदा संत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक परमहंस योगानंद और मुंबई में सन् 1918 में स्थापित द योग इंस्टीच्यूट के संस्थापक श्री योगेंद्र प्राणायाम के चमत्कारिक प्रभावों पर व्याख्यान देते रहे हैं। अपनी जीवन-लीला समाप्त होने तक विश्व विख्यात योगगुरू बीकेएस आयंगार और हाल के वर्षों में पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्वामी रामदेव प्राणायाम की शक्तियों से जनता को वाकिफ करा रहे हैं।

परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के मुताबिक, “नाड़ी शोधन या अनुलोम विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति और अजपा, प्राणायाम की ये चार विधियां श्वसन क्रिया को व्यवस्थित रखेगी और हृदय को भी स्वस्थ रखेगी। अमेरिकन हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ आरोन फ्राइडेल ने 1948 में हृदय रोगियों पर अनुलोम विलोम का प्रयोग किया था। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि प्राणायाम की यह विधि हृदय रोगियों में एंजिना के दर्द को नियंत्रित करने और उसे दूर करने का सबसे प्रभावशाली औषधि मुक्त माध्यम है। अजपा की महिमा अपरंपार है। यह सिर्फ प्राणायाम नहीं है। यदि नींद नहीं आती तो ट्रेंक्विलाइजर है और दिल की बीमारी है तो कोरेमिन है। हर रोग की अचूक दवा है। अजपा ठीक से किया जाए तो हो नहीं सकता कि रोग अच्छा न हो।“ सचमुच यह अनोखा योग है, जिसमें ध्यान लगते ही शिथलीकरण की क्रिया भी हो जाती है।

बीकेएस आयंगार के मुताबिक, भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायामों से यकृत, प्लीहा, पाचन ग्रंथि और उदर की मांसपेशियों की क्रिया और शक्ति बढ़ जाती है। इन दोनों से ही स्नायुओं का उत्सारण हो जाता है और नाक बहना बंद हो जाता है। पर सावधानियां भी जरूर बरतनी चाहिए। यदि फुफ्सुस कमजोर हो और शरीर दुर्बल हो तो ये दोनों ही प्राणायाम से दूर रहना चाहिए। वरना रक्त कोशिकाओं और मस्तिष्क को हानि हो सकती है।

पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्वामी रामदेव प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं। उनके मुताबिक, हल्दी, काली मिर्च, गिलोय, अदरक व तुलसी का काढ़ा बनाकर नियमित सेवन से कोरोना वायरस प्रभावित नहीं करेगा। जो इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं उन्हें सुबह शाम इस औषधीय काढ़ा का सेवन करना चाहिए। कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति को प्राणायाम की तीन विधियों अनुलोम विलोम, कपालभाति और भस्त्रिका का अभ्यास करना चाहिए। ये आजमाए हुए योगाभ्यास हैं।

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ऋषिकेश में हाल ही आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में गोरक्ष पीठाधीश्वर रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था – “योग अपनाने से कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आएंगे लोग।“ यह सुखद है कि भारत ही नहीं, अमेरिका से लेकर जापान तक में नोवेल कोरोना वायरस से बचाव के लिए योगाभ्यासों पर जो दिया जा रहा है। वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक अमेरिका में जिमों की क्षमता तेजी से बढ़ाई जा रही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और योग विज्ञान विश्लेषक हैं।)

 

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